दमा सांस में रुकावट आना, सांस लेने में तकलीफ होना, लंबे समय तक खांसी रहना, फेफड़ों का संक्रमण, फेफड़ों का सिकुड़ जाना, फेफड़ों में पानी भरना, फेफड़ों का निष्क्रिय होना, श्वास नलिका का सिकुड़ना, श्वास नलिका में छाले पड़ जाना। नासिका मार्ग का अवरूद्ध हो जाना। छाती में बहुत अधिक बलगम हो जाना, जिसका श्वास नलिका में प्रवेश करना। छाती में बलगम का जम जाना जिस कारण फेफड़ों में संकुचन व फैलाव में रुकावट आना। सूर्यनादि ( दाई नासिका) का बंद हो जाना। धुंआ, धूल आदि से सांस लेने में तकलीफ होना आदि अनेक समस्याओं को दमे रोग में सम्मिलित किया गया है।
• कारण:–
1. बचपन में लंबे समय तक जुकाम रहना।
2. टायफाइड होना।
3. वायरल फीवर ज्यादा लंबे समय तक रहना।
4. दही व खट्टी चीजों का ज्यादा इस्तेमाल करना।
5. सीलन वाले या अंधेरे कमरे में सोना
6. दाईं नासिका का बंद होना।
7. कम पानी पीना
8. गुनगुना या गर्म पानी पीना
9. बार बार खांसी होना
10. सांस लेने पर दिक्कत होते हुए इलाज ना कराना
11. फेफड़ों के संक्रमण को सामान्य रोग समझना
12. धुएं वाली जगह पर रहना या काम करना
13. धूम्रपान के अधिक सेवन से
14. कीटनाशकों का प्रयोग करते हुए मुंह में मास्क न लगाना।
15. केमिकल निर्माण व धूल वाली जगह पर बिना मास्क के काम करना।
16. सर्दियों के मौसम में चिल्ड कोल्ड ड्रिंक, आइसक्रीम, दही, लस्सी आदि चीजों का अधिक प्रयोग करना।
17. रात को दही का सेवन करना।
18. टीबी रोग की वजह से।
19. निमोनिया का हो जाना।
20. फेफड़ों में सोजीश आ जाना
21. छाती में चोट लगना।
•दमे के प्रकार:–
दमे को अनेक रूप से परिभाषित किया जाता है। अलग अलग कारणों से होने वाले दमें को अलग-अलग दमे के रूप में चिन्हित किया गया है।
उदाहरण के तौर पर:–
1. बच्चो का दमा
2. धूल मिट्टी से होने वाला दमा
3. मौसम के बदलाव से होने वाला दमा
4. किसी रोग के कारण होने वाला दमा
5. मांसपेशियों के सिकुड़ने से होने वाला दमा
6. फेफड़ों के सिकुड़ने से होने वाला दमा
7. जुकाम, खांसी, बलगम की वजह से होने वाला दमा
8. रहन सहन की वजह से होने वाला दमा
9. प्रदूषण/दूषित हवा से होने वाला दमा
•शुरुआती अवस्था में होने वाले दमे से बचाव के उपाय :–
1. दही, खट्टी चीजे अचार आदि चीजों का परहेज करे।
2. आइसक्रीम या फ्रिज में रखी चीजों का सीधा सेवन न करे।
3. गर्मी के मौसम में बाहर से आकर तुरंत ठंडे पानी का सेवन न करे।
4. अंधेरी सीलन वाले कमरे में न सोए।
5. धुएं या धूल वाली जगहों पर मास्क का प्रयोग करे।
6. धूम्रपान से दूर रहे। धूम्रपान का सेवन न करे।
7. व्यायाम करे।
8. प्राणायाम करे।
9. दिन में एक घंटा धूप जरूर सेके।
10. हरे पत्तेदार सब्जी व फलों का अधिक सेवन करे।
11. नंगे पांव न चले।
12. एक घंटा सुबह दौड़ लगाए।
• परहेज:–
• मूली
• खीरा
• ककड़ी
• पुदीना
• हरा धनिया
• नींबू
• संतरा
• किन्नू
• मौसमी
• केला
• आंवला
• अंगूर
• अनार
• नारियल पानी
• इमली
• मीठा
• अन्नास
• लीची
• कीवी
• अमरूद
• स्टार फ्रूट
• दही
• लस्सी
• खट्टी चीजे
• अचार
• गन्ने का रस
• आइसक्रीम
• कोल्ड ड्रिंक
• फ्रिज में रखी चीजे
• घरेलू उपचार:–
1. एक चुटकी हल्दी 250ml दूध में 5–7 मिनट काढ़कर, हल्का गुनगुना रात को खाना खाने से 2 घंटा पहले पिए, लगातार एक वर्ष तक।
2. एक गिलास दूध में 2 से 3 खजूर या 1 से 2 छुआरे बारीक काटकर डाल दे और 300ml दूध को हल्कीआंच पर 10 मिनट तक काढ़े। हल्का गुनगुना रहने पर सुबह नाश्ते के बाद पीले। हर सर्दी में इसका प्रयोग करें लगभग 3 से 4 महीने तक।
3. दो कली लहसुन बारीक काटकर 300ml दूध में 5 से 7 मिनट काढ़े हल्का गुनगुना रहने पर सुबह नाश्ते के बाद इसे पिए। सर्दी में इसका रोजाना सेवन करें।
4. एक लॉन्ग, आधा चम्मच अजवाइन, एक कली लहसुन, आधा चम्मच जीरा को हल्की आंच पर तवे पर भून लें। भूनने के बाद पीसकर गोली बना ले और सुबह नाश्ते के बाद सर्दी के मौसम में 1 महीने तक प्रयोग करें।
5. तुलसी, कच्ची हल्दी, कच्चा अदरक को दूध में काढ़ लें। हल्का गुनगुना रहने पर नाश्ते के बाद 1 महीने तक सेवन करें।
6. सोते समय छाती पर एरंड के पत्ते को हल्का सेककर छाती पर रखें ऊपर से रुई की एक परत रखकर सूती कपड़े से लपेट दे।
7. आधा इंच लाडलू को 300ml दूध में 10मिनट काढ़कर ठंडा होने पर सुबह नाश्ते के बाद इसका प्रयोग करे।
8. च्यवनप्राश बिना आंवले वाला का एक चम्मच सुबह शाम एक गिलास दूध में घोलकर पिए।
9. रात के खाने में प्याज का ज्यादा इस्तेमाल करे।
10. शहद, कली मिर्च को मिलाकर सुबह शाम एक चम्मच चाटे।
11. सर्दियों में कोल्थ की दाल का सेवन करें।
12. अलसी के लड्डुओं का सुबह शाम सेवन करे।
13. गुड में तिल मिलाकर लड्डू बना ले। एक लड्डू का रोज सेवन करे।
14. हफ्ते में तीन बार मशरूम की सब्जी का सेवन करे।
15. हरी मिर्च की सब्जी या परांठे का सेवन करे।
16. 300ml दूध में 2 मुनक्का काट कर डाल दे। कम आंच में 5 मिनट काढ़ने के बाद हल्का गुनगुना रहने पर रात को खाना खाने के 2 घंटे पहले सेवन करे।
17. 2 काजू, आधा चम्मच मगज को पीसकर गुड में मिला ले। लड्डू बना ले। एक लड्डू खाना खाने के बाद खाए।
18. मूंगफली और गुड से बनी पट्टी का सेवन करें।
• आयुर्वेदिक उपचार:–
भारतीय वैध द्वारा दमे के रोगियो को अनेक प्रकार की ओषधियां ऋतु, रोगी की अवस्था, उम्र, सेहत, रोग की आयु, शुरुआती या पुराना रोग, वांशिक रोग, चोट, रहन सहन आदि अनेक परिस्थितियों को मध्यनजर रखकर औषधि दी जाती है। इसमें औषधि का सेवन बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। रोगी को किसी भी आयुर्वेदिक औषधि का सेवन बिना किसी विशेषज्ञ की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए। फिर भी कुछ औषधियों का उल्लेख किया जा रहा है जिससे रोगी सलाह उपरांत सेवन कर सकता है।
1. महायोगराज गूगल = 1–1 गोली। सुबह शाम खाना खाने के बाद सेवन करे।
2. सत्पुथली चुल शहद में मिलकर सुबह शाम चाटने से रोगी को लाभ मिलता है।
3. अश्वगंधा कैप्सूल्स – 1 सुबह 1 शाम।
4. शिलाजीत – 1 कैप्सूल सुबह दूध के साथ ले।
5. रसराजरास– 1 गोली सुबह खाने के बाद।
• क्या अस्थमा आयुर्वेद से ठीक हो सकता है:–
आयुर्वेद में अस्थमा का संपूर्ण व सफल उपचार मौजूद है। आयुर्वेद न केवल अस्थमा के रोग को ठीक करता है अपितु उसे जड़ से खत्म कर भविष्य में इस रोग के दोबारा होने की संभावना तक को पूरी तरह खत्म कर देता है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग किया जाता है।
• आयुर्वेद में एलर्जिक अस्थमा का इलाज:-
बहुत से रोगियो को एलर्जी अस्थमा होता है, इसमें कई प्रकार के एलर्जिक रोगी आते है जैसेकि :–
1. किसी खाने वाली चीज के सेवन से
2. धूल या मिट्टी आदि से होने वाला
3. धुएं से होने वाला
4. मौसम से होने वाला
5. नजला जुखाम से होने वाला आदि।
इन सभी प्रकार के एलर्जी दमा को ठीक करने में आयुर्वेद पूरी तरह से सक्षम है। आयुर्वेद एलर्जी दमे को खत्म कर देता है। रोग ठीक होने के बाद रोगी को जिस चीज से एलर्जी दमा था, उस चीज से रोगी को आजीवन एलर्जिक दमा नहीं होता।
• अस्थमा के दोरे की रोकथाम:–
दमे का रोग जब भी गंभीर हो जाता है या लंबे समय तक रहता है ऐसे समय में रोगी को अक्सर सांस लेने में मुश्किलें आने लगती है। जिसमें कई बार रोगी को अस्थमा का गंभीर दोरा पड़ता है और रोगी सांस न ले पाने के कारण बेहोश तक हो जाता है जिसे दमे का दोरा कहा जाता है। जिन रोगियों को दमे का दौरा पड़ता है उन्हें आयुर्वेदिक चिकित्सक वैद्य से अपना उपचार करवाना चाहिए। तभी रोगी को दमे के दौरे से छुटकारा मिल सकता है और वह पूरी तरह स्वस्थ हो सकता है। अन्य पद्धतियों में दमे का कोई स्थाई उपचार मौजूद नहीं है इसीलिए रोगी आजीवन रोग से पीड़ित व औषधि खाने पर मजबूर रहता है। लंबी सांस ले और सांस को लंबे समय तक रोकने का प्रयास करे। इस प्रक्रिया को 45 बार एक समय में करे। दिन में तीन बार इस प्रक्रिया को दोहराए। सांस रोकने का समय 30 सेकेंड से 45 सेकेंड तक रखें।