सामान्य भाषा में डॉक्टरों का कहना यह है कि ह्रदय रोग मतलब हृदय की नलिका में रक्त का अवरूद्ध होना है। हृदय नलिका के अवरुद्ध होने के अनेक कारण है जैसे कि:–
1. हृदय नलिका का कमजोर होना।
2. उच्च रक्तचाप के कारण हृदय का कमजोर होना।
3. खून गाढ़ा होने की वजह से हृदय का सामान्य से अधिक धड़कना।
4. हृदय नलिका में गांठ, फोड़ा आदि का होना।
5. हृदय में मौजूद छोटी-छोटी रक्त नलिकाओ का क्षतिग्रस्त होना।
6. खून का अत्यधिक गाढ़ा हो जाना वह उसमें वसा (कोलेस्ट्रॉल) का स्तर अधिक होना।
7. गहरा सदमा होने से रोगी के शरीर में रक्तचाप व हृदय गति असमान्य रहने लगती है जो अधिक दबाव के कारण या मानसिक अवसाद के कारण हृदय में दबाव महसूस होने पर उसका समय पर इलाज ना करना।
हृदय रोग में सामान्यतः सांस लेने में दिक्कत या पूरी तरह सांस लेने के बाद भी आपको सांस की कमी महसूस होती है साथ ही घबराहट, सीने में जलन, अच्छे से नींद ना आना यह भी लक्षण हो सकते हैं एवं हृदय में हल्का दर्द लगातार बने रहना भी हृदय रोग का एक लक्षण है। बहुत से रोगियों में हृदय रोग होने पर भी किसी प्रकार के लक्षण नहीं दिखाई देते जिससे हृदय रोग की पहचान करना मुश्किल हो जाता है। छाती में व उसके आसपास की जगह पर नसों का खिंचाव महसूस करने पर उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह भी हृदय रोग का कारण बन सकता है।
हृदय रोग में रक्त नलिका का अवरुद्ध हो जाने पर कई प्रकार के उपचार किए जाते हैं जिसमें शल्य चिकित्सा मुख्य है। यदि हृदय नलिका में अवरुद्ध कम पाया जाता है तो उसका उपचार आयुर्वेद में मौजूद है। जिससे हम अवरुद्ध नलिका को सामान्य कर हृदय रोग को पूरी तरह से समाप्त कर सकते हैं :–
1. शारीरिक श्रम करना अनिवार्य है
2. वसा युक्त भोजन का कम प्रयोग करना
3. मांसाहारी भोजन का सेवन ना करना
4. संतुलित पौष्टिक शाकाहारी भोजन करना
5. भोजन में रोज मिक्स मौसमी फलों का प्रतिदिन लगभग 500 ग्राम सेवन करना
6. दिन में एक बार मौसमी सब्जियों का सलाद के रूप में 300 से 500 ग्राम सेवन करना
7. प्रतिदिन दो से ढाई लीटर पानी का सेवन करना
8. प्राणायाम और कपालभाति योग को प्रतिदिन 30 मिनट से 1 घंटे तक नित्य नियम से करना
9. हफ्ते में दो बार केवल तरल भोजन ही करना जैसे:–
पानी
बकरी या गाय का दूध
घर का बना सूप (दालें व सब्जियां)
घर का बना फलों का जूस
10. नशा जैसे:– शराब व मादक पदार्थो के सेवन से परहेज करे।
• आयुर्वेदिक उपचार:–
आयुर्वेदिक में हृदय रोग के लिए अनेक तरह की जड़ी बूटियां प्रचलित है ऐसी जड़ी बूटियों का प्रयोग केवल आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह के उपरांत ही लिया जाना चाहिए। किसी भी औषधि का स्वयं प्रयोग करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। फिर भी हृदय रोगी को हमारे भोजन श्रृंखला में ऐसे अनेक उपाय है जिनका सेवन करने से हृदय रोग में स्वास्थ्य लाभ ले सकते हैं जैसे कि:–
1. हल्दी वाले दूध का सेवन करने से
2. कच्ची हल्दी का पानी से सेवन करने से
3. दालचीनी के प्रयोग से
4. अदरक वाली चाय से
5. लहसुन के प्रयोग से
6. खजूर वाले दूध के सेवन से
7. अनार और सेब के जूस का सेवन करने से
8. भरपूर सलाद के सेवन से
• Can ayurveda cure heart blockage?
आयुर्वेद में हृदय रोग का संपूर्ण उपचार मौजूद है। आयुर्वेद ह्रदय रोग को खत्म करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है जिसमें रोगी को लंबे समय तक औषधि लेने की आवश्यकता नहीं रहती। साथ ही यह भविष्य में हृदयाघात होने की संभावना को जड़ से खत्म कर देता है साथ ही रोगी को प्राकृतिक योग से जीवनशैली जीने का तरीका सिखाता है जो रोगी को अनेक प्रकार के रोगों से दूर रखने में मददगार होता है और रोगी का पाचन तंत्र के साथ रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता को तेजी से विकसित कर शक्ति प्रदान करता है जिससे रोगी उम्र भर स्वस्थ व सामान्य जीवन यापन कर पाता है।
• How can you fight a heart attack at home
यदि रोगी को हृदय रोग की जानकारी हो जाती है तो उसे अकस्मात हृदयाघात होने की स्थिति में कुछ घरेलू उपचार कर स्वास्थ्य लाभ ले सकता है
1. इन्हेलर का प्रयोग करे।
2. दो पत्ते पान के रोजाना सुबह खाली पेट लेने से हृदय रोग में बहुत अधिक लाभ मिलता है
3. अर्जुन की छाल का काढ़ा बनाकर दिन में एक बार पीने से हृदय रोग में लाभ मिलता है
4. प्रतिदिन 2 लीटर पानी में 4 कली लहसुन काटकर, 20 ग्राम अदरक, 10 ग्राम दालचीनी को डालकर रात को छोड़ दे। सुबह 5–7 मिनट बाद कर उसे ठंडा करके छानकर बोतल में भर ले एक गिलास में आधा नींबू का रस, आधा चम्मच शहद मिलाकर दिन में एक बार पीने से भी स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
• Heart attack go away naturally
आयुर्वेद में 20 वर्षों के शोध व अनुभव के उपरांत यह कहना संभव हो पाया है कि यदि रोगी थोड़ी सी अपनी जीवनशैली और दिन में केवल एक मुख्य औषधि का सेवन प्रतिदिन में केवल एक बार और 1 वर्ष तक लगातार करें तो वह हृदय घात से अगले 4 वर्ष तक सुरक्षित/बचा रह सकता है। उसे हृदयाघात होने की संभावना न के बराबर रह जाती है।
1. हल्दी वाले दूध का सेवन करने से
2. कच्ची हल्दी का पानी से सेवन करने से
3. दालचीनी के प्रयोग से
4. अदरक वाली चाय से
5. लहसुन के प्रयोग से
6. खजूर वाले दूध के सेवन से
7. अनार और सेब के जूस का सेवन करने से
8. भरपूर सलाद के सेवन से
9. शारीरिक श्रम करना अनिवार्य है
10.वसा युक्त भोजन का कम प्रयोग करना
11.मांसाहारी भोजन का सेवन ना करना
12.संतुलित पौष्टिक शाकाहारी भोजन करना
13.भोजन में रोज मिक्स मौसमी फलों का प्रतिदिन लगभग 500 ग्राम सेवन करना
14.दिन में एक बार मौसमी सब्जियों का सलाद के रूप में 300 से 500 ग्राम सेवन करना
15.प्रतिदिन दो से ढाई लीटर पानी का सेवन करना
16. प्राणायाम और कपालभाति योग को प्रतिदिन 30 मिनट से 1 घंटे तक नित्य नियम से करना
17. हफ्ते में दो बार केवल तरल भोजन ही करना जैसे:–
पानी
बकरी या गाय का दूध
घर का बना सूप (दालें व सब्जियां)
घर का बना फलों का जूस
18. नशा जैसे:– शराब व मादक पदार्थो के सेवन से परहेज करे।
• Test conducted for detecting heart problems
Blood tests
Electrocardiogram (ECG)
Exercise stress test
Echocardiogram (ultrasound)
Nuclear cardiac stress test
Coronary angiogram
Magnetic resonance imaging (MRI)
Coronary computed tomography angiogram (CCTA)